Sunday, May 8, 2011

कुछ ख्वाब चुराकर लाया हूँ

कुछ ख्वाब चुराकर लाया हूँ
नींद तुम्हारी आँखों से
मैं आज चुराकर लाया हूँ
गीत मिलन के भूल गयी तुम
प्रीत हमारी भूल गयी तुम
उन सपनों को भूल चुके
मैं अहसास चुराकर लाया हूँ
कुछ ख्वाब चुराकर लाया हूँ

मुझसे क्या थी भूल हुई
कहाँ हवा प्रतिकूल हुई
जिन फूलों की खातिर तुम
जिन गलियों की खातिर तुम
रोज़ सवेरे जग जाती थी
उसी गली से, उसी फूल की
तेरी खातिर मैं भंवरा बन
महक चुराकर लाया हूँ

तेरी आँखों की गहराई
तेरे बिन है ये तन्हाई
इन् पलकों में आज मिलन की
मैं आस छुपकर लाया हूँ
तेरी खातिर दुनिया भर की
ख़ुशी चुराकर लाया हूँ
सच कहता हूँ मैं खुद के सपने
और तुम्हारे ख्वाब चुराकर लाया हूँ

अपने जीवन भर की खुसियाँ
अपने गम और अपने आंसू
और सभी जो मेरे अपने
उन सबको भूल आज
मैं पास तुम्हारे आया हूँ
तेरे दुःख और तेरे आंसू
तेरे सपने, तेरी दुनिया
उन सबको दिल से अपनाने
मैं पास तुम्हारे आया हूँ

भूल चुकी तुम जिन रिश्तों को
उन रिश्तों को फिर से महकने
फिर से वो अहसास जगाने
वही पुराना अंदाज़ में मैं आज
कुछ ख्वाब चुराकर लाया हूँ!

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